जीएसटी में अग्रिम निर्णय तंत्र: अग्रिम निर्णय से आवेदक को अपने क्रियाकलापों, जिनके लिए जीएसटी का भुगतान किया जाना है, की पहले से आयोजना करने में सुविधा होती है। यह कर देयता निर्धारित करने में निश्चितता भी लाता है चूंकि अग्रिम निर्णय प्राधिकारी द्वारा दिया गया निर्णय आवेदक पर और सरकारी प्राधिकरणों पर बाध्यकारी होता है। इसके अतिरिक्त, इससे बाद में लंबी तथा खर्चीली मुकदमेबाजी से बचाव होता है। अग्रिम निर्णय लेना खर्चीला नहीं हैं और इसकी प्रक्रिया सरल तथा शीघ्र है। इस प्रकार यह करदाता को किसी मुद्दे के संबंध में निश्चितता तथा पारदर्शिता प्रदान करता है जिससे संभवत: कर प्रशासन के साथ कोई विवाद हो सकता है। कानूनी रूप से गठित निकाय – अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (एएआर) – उस व्यक्ति को एक बाध्यकारी निर्णय दे सकता है जो एक पंजीकृत करदाता है अथवा पंजीकृत होने के लिए जिम्मेदार है। प्राधिकरण द्वारा दिए गए अग्रिम निर्णय के विरुद्ध अग्रिम निर्णय के लिए अपीलीय प्राधिकारी (एएएआर) के समक्ष अपील की जा सकती है। एएआर और एएएआर द्वारा आदेश पारित किए जाने की निर्धारित समय-सीमाएं हैं।

जीएसटी में अग्रिम निर्णय तंत्र, Advance Ruling under GST

अग्रिम निर्णय के उद्देश्य

अग्रिम निर्णय का एक तंत्र स्थापित करने के मुख्य उद्देश्य है-

  • i. आवेदक द्वारा किए जाने वाले प्रस्तावित क्रियाकलाप के संबंध में पहले से कर देयता में निश्चितता लाना;
  • ii. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करना;
  • iii. मुकदमेबाज़ी में कमी लाना;
  • iv. पारदर्शी और मितव्ययी तरीके से शीघ्र निर्णय देना।

अग्रिम निर्णय के उद्देश्य

“अग्रिम निर्णय” का अर्थ है आवेदक द्वारा की जा रही अथवा किए जाने के लिए प्रस्तावित माल अथवा सेवाओं अथवा दोनों की आपूर्ति के संबंध में सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 97 की उप- धारा (2) अथवा धारा 100 की उप-धारा (1) में विनिर्धारित मामलों अथवा प्रश्नों के संदर्भ में प्राधिकरण अथवा अपीलीय प्राधिकरण द्वारा आवेदक को निर्णय देना।
इस अधिनियम के अंतर्गत दी गई अग्रिम निर्णय की परिभाषा काफी व्यापक है और इसमें सीमा-शुल्क तथा केंद्रीय उत्पाद शुल्क कानूनों के अंतर्गत अग्रिम निर्णय की वर्तमान प्रणाली की तुलना में सुधार किए गए हैं। वर्तमान व्यवस्था में के वल एक प्रस्तावित लेन-देन पर ही अग्रिम निर्णय दिया जा सकता है, जबकि जीएसटी के अंतर्गत प्रस्तावित लेन-देन और अपीलकर्ता द्वारा पहले से किए जा चुके लेन-देन के संबंध में अग्रिम निर्णय लिया जा सकता है।

सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 97(2) और धारा 100(1) में विनिर्धारित मामले/प्रश्न क्या हैं

(क) किसी माल अथवा सेवा अथवा दोनों का वर्गीकरण;
(ख) सीजीएसटी अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत जारी की गई एक अधिसूचना की प्रयोजयता;
(ग) माल अथवा सेवाओं अथवा दोनों की आपूर्ति के समय तथा मूल्य का निर्धारण;
(घ) भुगतान किए गए अथवा भुगतान किए गए माने गए इनपुट टैक्स क्रेडिट की स्वीकार्यता;
(ड.) किसी माल अथवा सेवा अथवा दोनों पर कर देयता का निर्धारण;
(च) क्या आवेदक को पंजीकृत होना आवश्यक है;
(छ) क्या किसी माल अथवा सेवा अथवा दोनों के संबंध में आवेदक द्वारा किया गया कोई विशिष्ट कार्य आपूर्ति के अर्थ में माल अथवा सेवाओं अथवा दोनों की आपूर्ति में फलित होता है।

जीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 100(1) में यह प्रावधान है कि अग्रिम निर्णय प्राधिकरण द्वारा दिए गए अग्रिम निर्णय से असंतुष्ट संबंधित अधिकारी, न्यायक्षेत्र अधिकारी अथवा आवेदक अपीलीय प्राधिकारी को अपील कर सकता है।

इस प्रकार यह देखा जा सकता है कि अपीलीय प्राधिकारी के निर्णय को भी अग्रिम निर्णय माना जाता है।।

‘अग्रिम निर्णय प्राधिकारण’ (एएआर) और ‘अग्रिम निर्णय के लिए अपीलीय प्राधिकारण’ (एएएआर)

राज्य माल और सेवा कर अधिनियम अथवा संघ राज्य क्षेत्र माल और सेवा कर अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत गठित अग्रिम निर्णय प्राधिकरण को सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के अंतर्गत भी उस राज्य अथवा संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में अग्रिम निर्णय प्राधिकरण माना जाएगा।

राज्य माल और सेवा कर अधिनियम अथवा संघ राज्य क्षेत्र माल और सेवा कर अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत गठित अग्रिम निर्णय के लिए अपीलीय प्राधिकरण को सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के अंतर्गत भी उस राज्य अथवा संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में अग्रिम निर्णय के लिए अपीलीय प्राधिकरण माना जाएगा।

इस प्रकार यह देखा जा सकता है कि अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (एएआर) और अग्रिम निर्णय के लिए अपीलीय प्राधिकरण (एएएआर) दोनों संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र अधिनियम के अंतर्गत गठित किए गए हैंन कि केंद्रीय अधिनियम के अंतर्गत। इसका अर्थ है कि एएआर और एएएआर द्वारा दिया गया निर्णय के वल उस राज् अथवा संघ राज्य क्षेत्र के क्षेत्राधिकार में ही लागू होगा। इसी कारण से ऐसा है कि आपूर्ति का स्थान निर्धारित करने संबंधी प्रश्न एएआर और एएएआर के समक्ष नहीं उठाया जा सकता।

अग्रिम निर्णय किस पर लागू होगा

एएआर अथवा एएएआर द्वारा दिया गया एक अग्रिम निर्णय केवल आवेदक और संबंधित अधिकारी अथवा आवेदक के संबंध में न्यायाक्षेत्र अधिकारी पर बाध्यकारी होगा। इसका स्पष्ट रूप से अर्थ है कि एक अग्रिम निर्णय उस राज्य में इसी प्रकार की स्थिति वाले अन्य कर योग्य व्यक्तियों पर लागू नहीं होगा। यह केवल उस व्यक्ति तक सीमित है जिसने अग्रिम निर्णय के लिए आवेदन किया है।

अग्रिम निर्णय के लागू होने की समयावधि

कानून में किसी निर्धारित समयावधि का प्रावधान नहीं किया गया है जिसके लिए अग्रिम निर्णय लागू होगा। इसके बजाय यह प्रावधान है कि अग्रिम निर्णय उस अवधि तक बाध्यकारी होगा जब तक कि मूल अग्रिम निर्णय का समर्थन करने वाला काननू , तथ्य अथवापरिस्थितियां नहीं बदल जाती।

तथापि एक अग्रिम निर्णय को प्रारंभ से अमान्य माना जाएगा यदि एएआर अथवा एएएआर यह पाते हैं कि आवेदक द्वारा जालसाजी से अथवा महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपा कर अथवा तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करके निर्णय प्राप्त किया गया था। ऐसी स्थिति में आवेदक पर सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियम के सभी प्रावधान लागू होंगे जैसे कि अग्रिम निर्णय दिया ही नहीं गया था (परंतु इसमें वह अवधि शामिल नहीं होगी जब अग्रिम निर्णय दिया गया था और तब तक जब इसे अमान्य घोषित किए जाने वाला आदेश जारी किया गया)। अग्रिम निर्णय को अमान्य करार देने का आदेश आवेदक का पक्ष सुनने के बाद ही जारी किया जा सकता है।

अग्रिम निर्णय प्राप्त करने की प्रक्रिया

अग्रिम निर्णय लेने के इच्छुक आवेदक को निर्धारित फॉर्म तथा पद्धति में एएआर को आवेदन करना चाहिए। फॉर्म का प्रारूप और आवेदन करने की प्रक्रिया विस्तार से अग्रिम निर्णय नियमों में दी गई है।

आवेदन प्राप्त होने पर एएआर आवेदन की एक प्रति उस अधिकारी को भेजेगा जिसके क्षेत्राधिकार में आवेदक आता है और सभी संबंधित रिकॉर्ड मंगवाएगा। उसके बाद एएआर रिकॉर्ड के साथ आवेदन की जांच करता है और आवेदक का पक्ष भी सुन सकता है। उसके बाद वह आवेदन स्वीकार अथवा अस्वीकार करते हुए एक आदेश पारित करेगा।

उन मामलों में अग्रिम निर्णय के आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे जहां आवेदन में उठाया गया प्रश्न अधिनियम के किसी प्रावधान के अंतर्गत एक आवेदक के मामले में किसी कार्यवाही में लम्बित है अथवा इस पर निर्णय किया जा चुका है।

यदि आवेदन अस्वीकृत किया जाता है तो यह अस्वीकृति सकारण आदेश के माध्यम से की जाना चाहिए।

यदि आवेदन स्वीकार कर लिया जाता है तो एएआर आवेदन प्राप्त होने के नब्बे दिन के अंदर अपना निर्णय सुनाएगा। अपना निर्णय देने से पहले यह आवेदन की और आवेदक अथवा संबंधित विभागीय अधिकारी द्वारा प्रस्तुत की गई अन्य किसी सामग्री की जांच करेगा।

निर्णय देने से पहले एएआर को अनिवार्य रूप से आवेदक अथवा प्राधिकृत प्रतिनिधि और सीजीएसटी/एसजीएसटी के न्यायक्षेत्र अधिकारी का पक्ष सुनना चाहिए।

यदि एएआर के दो सदस्यों के बीच राय में अंतर है तो वे उस बिंदु अथवा बिंदओं को मद्दे की सुनवाई के लिए एएएआर को भेजेंगे जिन बिंदओं पर उनकी राय में अंतर है। यदि एएएआर के सदस्य भी एएआर द्वारा उन्हें भेजे गए बिंद (बिन्दुओ) के संबंध में किसी एक निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाते तो यह माना जाएगा कि जिस प्रश्न के संबंध में एएएआर के स्तर पर राय में अंतर है उनके संदर्भ में कोई अग्रिम निर्णय नहीं दिया जा सकता।

एएआर के आदेश के विरुद्ध अपील

यदि आवेदक एएआर के निष्कर्ष से असंतुष्ट है तो वह एएएआर के समक्ष अपील कर सकता है। इसी प्रकार यदि सीजीएसटी/एसजीएसटी का निर्धारित अथवा न्यायक्षेत्र अधिकारी एएआर के निष्कर्ष से सहमत नहीं है तो वह भी एएएआर के समक्ष एक अपील कर सकता है। सीजीएसटी/एसजीएसटी के निर्धारित अधिकारी शब्द का अर्थ है एक अधिकारी जिसे सीजीएसटी/एसजीएसटी प्रशासन द्वारा अग्रिम निर्णय के आवेदन के संदर्भ में नामित किया गया है। सामान्य परिस्थितियों में संबंधित अधिकारी वह अधिकारी होगा जिसके क्षेत्राधिकार में आवेदक आता है। ऐसे मामलों में संबंधित अधिकारी सीजीएसटी/ एसजीएसटी का न्यायक्षेत्र अधिकारी होगा।

कोई भी अपील अग्रिम निर्णय प्राप्त होने के तीस दिन के भीतर दायर की जानी चाहिए। अपील निर्धारित प्रारूप में होनी चाहिए और निर्धारित पद्धति से सत्यापित की जानी चाहिए। प्रारूप अग्रिम निर्णय नियमों में दिया गया है। अपीलीय प्राधिकारी को अपील के पक्षों को सुनने के बाद अपील दायर किए जाने के नब्बे दिन के भीतर एक आदेश पारित करना चाहिए।

यदि अपील में संदर्भित किसी बिंदु पर एएएआर के सदस्यों की राय में अंतर है तो यह माना जाएगा कि अपील के अंतर्गत प्रश्न के संबंध में कोई अग्रिम निर्णय जारी नहीं किया गया है।

त्रुटियों में संशोधन

कानून एएआर और एएएआर को आदेश जारी करने की तिथि से छ: माह की अवधि के भीतर रिकॉर्ड से किसी स्पष्ट त्रुटि को ठीक करने के लिए अपने आदेश में संशोधन करने की शक्ति देता है। ऐसी त्रुटि प्राधिकरण द्वारा अपनी स्वयं की समझ के अनुसार देखी जा सकती है अथवा आवेदक अथवा सीजीएसटी/एसजीएसटी के निर्धारित अथवा न्यायक्षेत्र अधिकारी द्वारा इसके ध्यान में लाई जा सकती है। यदि किसी संशोधन में कर देयता बढ़ती है अथवा इनपुट टैक्स क्रेडिट की मात्रा घटती है तो आदेश पारित करने से पहले आवेदक का पक्ष अवश्य सुना जाना चाहिए।

एएआर और एएएआर की शक्तियां और प्रक्रियाए

एएआर और एएएआर को खोज तथा निरीक्षण, किसी व्यक्ति को उपस्थित होने के लिए आदेश देने और उसे शपथ दिला कर पूछ-ताछ करने और खातों तथा अन्य रिकॉर्ड प्रस्तुत करने हेत बाध ्य करने के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अंतर्गत एक सिविल न्यायालय की शक्तियां प्राप्त हैं। दोनों प्राधिकरण आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 195 के उद्देश्य से सिविल न्यायालय माने गए हैं। प्राधिकरण के समक्ष कोई कार्यवाही भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 193 और 228 के अंतर्गत और धारा 196 के उद्देश्य से न्यायिक कार्यवाही मानी जाएगी। एएआर और एएएआर के पास अपनी स्वयं की प्रक्रियाओं का विनियमन करने की शक्तियां भी हैं।

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