कारोबार में ब्लैकमनी पर कैसे लगाम लगाएगा GST? 5 प्वाइंट्स में समझें: देश में ब्‍लैकमनी बड़ा मुद्दा है। एक्सपर्ट्स की मानी जाए तो गुड्स एंड सर्विस टैक्‍स (जीएसटी) लागू होने के बाद इस पर लगाम लग सकती है। अभी तक देश में एक परसेप्‍शन है कि कारोबारी ज्‍यादा गड़बड़ी करते हैं और टैक्‍स डिपार्टमेंट के अफसर इसे छिपाने के लिए पैसे लेते हैं। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद ना तो कारोबारी गड़बड़ी कर पाएंगे और ना ही अफसर इसे छिपा पाएंगे।

कारोबार में ब्लैकमनी पर कैसे लगाम लगाएगा GST? 5 प्वाइंट्स में समझें

स्‍टेप 1 सारा कारोबार करना होगा ऑनलाइन

  • जीएसटी के बाद सबसे बड़ा बदलाव होगा कि पूरा कारोबार और टैक्‍स सिस्‍टम ऑनलाइन हो जाएगा। अगर कोई सोचता है कि वह इस सिस्‍टम से बच जाएगा तो उसकी यह भूल है। – कच्‍चा माल खरीदने से लेकर, उससे सामान बनाने के बाद बेचने और वेयरहाउस में रखने और पूरे ट्रांसपोर्टेशन की जानकारी ऑनलाइन होगी।
  • खास बात ये है कि ये सभी जानकारी केन्‍द्र सरकार के अलावा राज्‍यों के टैक्‍स अफसरों के पास भी होगी। दोहरी चेकिंग से ऑनलाइन सिस्‍टम से बाहर कुछ कर पाना मुश्किल होगा।

EXPERT VIEW: सीए और टैक्‍स कंसल्‍टेंट पवन जायसवाल का कहना है- ऑनलाइन एक दोधारी तलवार है। इस पर पूरी तरह से अमल किया तो कोई दिक्‍कत नहीं, लेकिन एक भी गड़बड़ी से पूरी बेइमानी सामने आ जाएगी। क्‍योंकि जब टैक्‍स अफसर जांच करेंगे तो वह भी ऑनलाइन ही होगी और वो चाहकर भी किसी को बचा नहीं सकेगा।

स्‍टेप 2 फर्जी बिक्री रुकेगी

सिस्‍टम ऑनलाइन होने का दूसरा फायदा होगा कि जीएसटी के बाद बिना कागजों के सामान नहीं बेचा जा सकेगा। जीएसटी के तहत अगर कच्‍चा सामान कहीं जा रहा है तो वह तभी जा सकेगा जब उसकी बिक्री का रिकार्ड हो, ऐसे ही फैक्‍ट्री से वेयरहाउस और वहां से शोरूम तक भी ऑनलाइन चालान बनने के बाद ही जाएगा। इसलिए ट्रांसपोर्टर अब बिना कागजों के सामानों के नहीं ले जा सकेंगे। फर्जी तरीके से सामान तभी बिकता था जब वह एक जगह से दूसरी जगह चोरी से भेजा जा सके।

EXPERT VIEW: सीए कैलाश गोदुका का कहना है कि टैक्‍स अधिकारियों के पास पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन होगा। ट्रांसपोर्टर कितने सामान को लेकर कहां जा रहा है, यह जानकारी राज्‍य और केन्‍द्र के टैक्‍स अफसरों के पास होगी। ऐसे में चेकिंग के दौरान अगर वही सामान सही रास्‍ते पर जा रहा है तो ठीक, नहीं तो पकड़ना आसान होगा।

स्‍टेप 3 बेनामी बैंक खातों पर लगेगी रोक

अभी तक फर्जी तरीके से सामान मंगा कर कारोबारी आसानी से बेच लेते थे। बाद में उसका भुगतान गलत तरीके से पर्सनल बैंक अकाउंट के जरिए कर दिया जाता था। लेकिन जीएसटी के बाद यह मुमकिन नहीं है।

EXPERT VIEW: टैक्‍स कंसल्‍टेंट पवन जायसवाल के मुताबिक, अभी गड़बड़ी करने वाले कारोबारी जितना कारोबार कागज पर दिखाना होता था,उतना ही बैंक ट्रांजेक्‍शन दिखाते थे। बाकी कारोबार, दूसरे बैंक अकाउंट्स से करते थे। जीएसटी के अलावा बैंक खातों में पैन के अलावा आधार जुड़ने से कारोबारियों को अब गडबड़ी करना मुमकिन नहीं होगा। कारोबार में दिखाए अकाउंट के अलावा व्‍यापारी के दूसरे खातों पर अगर कारोबार से जुड़े लोगों का पैसा आता-जाता मिलता है, तो उन पर कार्रवाई होगी।

स्‍टेप 4  रिटर्न फाइलिंग का तरीका भी रोकेगा टैक्‍स चोरी

जीएसटी के तहत कारोबारियों को हर माह रिटर्न फाइल करना होगा। अभी तक कारोबारी रिटर्न फाइल बना कर फाइल करते थे। इसमें बाद में जो चाहें बदलाव कर दिए जाते थे। इसके बाद भी अगर गड़बड़ी मिलने पर नोटिस मिले तो उसे साबित करना आसान नहीं होता था।

EXPERT VIEWजायसवाल के मुताबिक- अब रिकॉर्ड में गड़बड़ी मुमकिन नहीं होगी। क्योंकि ये ऑनलाइन रहेगा। लिहाजा ऑडिट भी रियल टाइम होगा।  इसके अलावा जीएसटी के तहत कारोबारियों को स्‍टार रेटिंग मिलेगी। जिन कारोबारियों की रेटिंग सबसे अच्‍छी होगी टैक्‍स विभाग उनकी स्‍क्रूटनी नहीं करेगा। इसके चलते कारोबारी साफ सुथरा कारोबार करने के लिए इंस्पायर होंगे।

स्‍टेप 5  दोहरी निगरानी और ऑडिट का सिस्‍टम रोकेगा चोरी

जीएसटी के तहत अब पूरे देश में बिना किसी दिक्कत के करोबार किया जा सकेगा। राज्‍यों और केन्‍द्र के टैक्‍स अफसर जीएसटी के तहत काम करेंगे। इसलिए अगर कारोबारी गड़बड़ी करेगा तो केन्‍द्र के टैक्‍स अफसरों से बच गया तो राज्‍यों के अफसरों की नजर में आ जाएगा।

EXPERT VIEW: सीए कैलाश गोदुका के मुताबिक- राज्‍यों पर रेवेन्‍यु बढ़ाने के लिए दबाव रहेगा। इसलिए वह अपने राज्‍य के अंदर निगरानी सख्‍त रखेंगे। इसके अलावा अगर देश में कहीं भी जीएसटी के तहत टैक्‍स चोरी पकड़ी गई तो वह सभी राज्‍य जांच में शामिल होंगे जहां जहां से वह गड़बड़ी जुड़ी होगी। इसलिए अगर कारोबारी को लगता है कि जांच में गड़बड़ी करके अपने फेवर में कर सकेगा तो यह नामुमकिन हो जाएगा। इसके अलावा कारो‍बारियों के खातों की एनुअल ऑडिट कौन करेगा इसकी जानकारी किसी को नहीं होगी। हो सकता है कि दिल्‍ली के कारोबारी की ऑडिट मुम्‍बई का टैक्‍स अफसर करे। कारोबारी को ऑडिट करने वाले अधिकारी की जानकारी तभी हो सकेगी जब उसके नोटिस जारी होगा। अगर नोटिस जारी नहीं होता है तो उसको पता भी नहीं चलेगा कि उसके खाते की एनुअल ऑडिट किसने की? कारोबारियों को जब यह पता ही नहीं होगा कि उनके खाते की ऑडिट कौन करेगा तो सेटिंग की गुंजाइश ही नहीं रह जाएगी।

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